कभी ना खत्म होने वाला संघर्ष कैसे होगा खत्म ?

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कभी ना खत्म होने वाला संघर्ष कैसे होगा खत्म ?

 

आप मेरे लिए मेरे भाई या बहन, अथवा जो भी बड़े हैं वो बहुत ध्यान से मेरे ब्लॉग को पढ़ें और अपने जीवन मे उसको उतारने की कोशिश करें, जिससे आप सुखी हो सकें, आपकी आँखों मे दुख का आँसू मुझसे तो देखा नहीं जा सकता है, इसीलिए मैं आपके लिए अपना सर्वस्व इकट्ठा किया हुआ ज्ञान यहाँ लिख देना चाहता हूँ और लिख भी देता हूँ और चाहता हूँ कि आप उसका लाभ उठाएँ। कुछ लोगों के जीवन मे संघर्ष तो ऐसा रिश्तेदार लेकर आता है जैसे कि वो कभी जाएगा ही नहीं, वो लोग जितना उससे बाहर निकलने की कोशिश करते हैं उतना ही वो लोग और संघर्ष के दलदल मे फंस जाते हैं, कुछ लोगों का बचपन बहुत अच्छे से बीता, 12 वर्ष के उम्र के बाद से तकलीफ़ें शुरू हो जाती हैं, कुछ लोगों को 16 या 18 साल की उम्र तक अच्छा सब कुछ मिला उसके ज़िंदगी नरक हो गई तो कुछ लोगों को 25 वर्ष की उम्र तक सब कुछ बहुत अच्छा और प्यार से बीता उसके बाद ज़िंदगी मे तूफान आने लग गया, तो बहुत से लोगों को जीवन मे 30 वर्ष की उम्र के बाद संघर्ष के थपेड़ों ने चैन की सांस नहीं लेनी दी, और कईयों को तो सुख क्या होता है यही नहीं पता है, लेकिन मैं आपको यहाँ पर उन संघर्षों के मुख्य कारण क्या हैं वो बताऊंगा और उनका समाधान भी दूंगा। 

मुख्य बिन्दु 6 ये हैं–
क्या जीवन मे चल रहे संघर्ष से मुक्ति पाना संभव है ?
क्या उन कारणों को हम जान सकते हैं जिनके कारण ये संघर्ष के काले बादल आपके जीवन मे आए ?
ये संघर्ष का समय फिर कब वापिस आता है ?
क्या कोई ग्रह, नक्षत्र, या घर का वास्तु इसके लिए जिम्मेदार होता है ?
क्या हमारे बड़े बुजुर्गों के द्वारा जाने-अंजाने हुई गलतियाँ इसका कारण बन जाती है ?
क्या घर मे किया हुआ पेंट अर्थात रंग भी हमारे जीवन मे तकलीफ़ों को आमंत्रित करता है ?
सबसे पहले हम सबसे पहले मुख्य बिन्दु को लेते हैं कि

“क्या जीवन मे चल रहे संघर्ष से मुक्ति पाना संभव है ? “
उत्तर-
 ईश्वर पुरुष तत्व है और प्रकृति उसकी ताकत है इसीलिए पुरुष और प्रकृति मिलकर ही इस संसार को चलाते हैं, आप अपने जीवन मे जैसा पुरुषार्थ यानि कर्म करते हैं और जैसी ऊर्जा अर्थात ताकत् के साथ करते हैं वैसा ही आपके जीवन मे आपको लाभ मिलता है, इसीलिए जीवन मे आपके जो भी कर्म करने योग्य आए वही करें, किसी दूसरे के कार्य मे अपनी राय, टांग, अथवा हस्तक्षेप न करें, आप चाहे ऑफिस हो, घर हो या समाज हो हर जगह आप अपने दायरे यानि सीमा मे रहकर ही कर्म करें, सभी को बदलने की कोशिश करना बंद कर दें, और अब तक आपसे जो भी गलत हुआ उसके लिए अपने अन्तर्मन मे सभी का ध्यान करके माफी मांग लें और आप उन्हे भी उन लोगों को माफ कर दें जिन्होने आपको दुखी किया हो। संघर्ष


क्या उन कारणों को हम जान सकते हैं जिनके कारण ये संघर्ष के काले बादल आपके जीवन मे आए ?
उत्तर-
 जी हाँ, इस जीवन मे आप जो भी कुछ करते हैं उसी का प्रतिबिंब रिज़ल्ट आप अपने सामने देखते हैं, आज यदि आप बहुत सुखी हैं तो उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार हैं और यदि आप दुखी हैं तो भी आप स्वयं जिम्मेदार हैं, आपके जीवन को बदलने की ताकत किसी और के पास नहीं होती है, यदि आपने किसी का दिल कभी भी जाने-अनजाने दुखाया होगा तो आपको प्रकृति उसका बदला जरूर देगी, या ऐसा भी हो सकता है कि आपका दिल उस इंसान ने कभी दुखाया हो तभी आज आप उसका दिल दुखा पाये, तो हमे और आपको यह नहीं पता कि आपने पीछे क्या किया है लेकिन यह हम आज जहां खड़े हैं उसके कारण यह जरूर पता कर सकते हैं कि आपने पीछे क्या कर्म किए जिसके कारण आप आज कहाँ है।


ये संघर्ष का समय फिर कब वापिस आता है ?
उत्तर- जीवन मे चलने वाला अंतहीन संघर्ष वापिस आ भी सकता है और नहीं भी, क्योंकि जैसे ही आप अपना कर्म करना सीख लेते हैं तो आपके जीवन मे ऐसा समय फिर दोबारा नहीं आता है, या आयेगा भी तो वो आपको छूकर निकल जाएगा, आपका बड़ा नुकसान नहीं करेगा, अब आप अपना कर्म करना कैसे सीखें, हर आदमी को अपनी जन्म कुंडली और अपने शरीर तत्वों के अनुसार ही कर्म करने चाहिए, और अपने जन्म कुंडली और तत्वो के आधार पर जब आप अपने काम करने लगते हैं तो आपका जीवन अपने आप बैलेन्स होने लागता है, इस पर मैंने यूट्यूब पर वीडियो बनाकर डाली हुई है, आप उस वीडियो को देख सकते हैं।


क्या कोई ग्रह, नक्षत्र, या घर का वास्तु इसके लिए जिम्मेदार होता है ?
उत्तर-
 जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूँ कि आज आप जहां भी हैं चाहे दुख मे या सुख उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार हैं यही सच्चाई है, इसीलिए ग्रहों, नक्षत्रों, और राशियों को इसके लिए जिम्मेदार ना माने, ये सभी आपके जीवन मे उतना ही प्रभाव डालते हैं जैसे लाखों किलोमीटर दूर बैठे हुये सूर्य देव, चन्द्र देव, आदि, अब आप सूर्य की रोशनी मे कार्य अच्छा करें या बुरा यह तो आपकी सोच पर निर्भर करता है, चाँद निकले या न निकले लेकिन आप रात के समय यदि अच्छे कार्य भी करते हैं तो भी आप महान हैं, इसीलिए इनको दोषी न माने, अपनी गलतियों और परेशानियों की ज़िम्मेदारी स्वयं लें। जब आप गंदे कर्म करने लगते हैं तो शनि देव जन्म कुंडली मे कहीं भी बैठे हों वो आपको मायूस कर देते हैं, जीवन बे-फिज़ूल सा लगने लगता है जिसके चलते जातक किसी प्रकार के गलत काम मे उलझ जाता है, और जब राहू देव खराब हों तो विचारों मे स्पष्टता नहीं आ पाती है, विचार बहुत जल्दी जल्दी बदलने लगते हैं और जीवन मे भी इसी कारण उतार-चढ़ाव जल्दी जल्दी बनने लगते हैं, और ऐसा जातक जीवन मे जितना आगे बढ़ता है उससे ज्यादा हालात उसे पीछे धकेल देते हैं, जीवन जीना तो ऐसा लगने लगता है जैसे कि सिर पर बहुत बड़ा बोझ रख दिया हो और पीछे से पहाड़ पर चढ़ने का प्रैशर भी बहुत होता है, जिसके कारण वो जीवन मे किसी भी चीज, हालात को एंजॉय नहीं कर पाते हैं, और इतनी मेहनत करने के बाद भी जीवन मे कुछ अच्छा हासिल नहीं हो पाता है। संघर्ष
यदि जन्म कुंडली मे शनि, राहू और केतू खराब कर लिए जाएँ मंगल देव पहले से ही खराब घरों मे हों और इस खराबी मे बुध ग्रह भी मदद दे रहे हों तो जातक का हाल बहुत नहीं बेहद बहुत बुरा होता है। राहू बहुत ही कीमती ग्रह है, यदि जातक इसको ना समझे तो काम से गया। इसीलिए आप मेरी इन बातों का बहुत अच्छे से ध्यान रखें।


क्या हमारे बड़े बुजुर्गों के द्वारा जाने-अंजाने हुई गलतियाँ इसका कारण बन जाती है ?
उत्तर- 
इस सवाल का जवाब है नहीं है और हाँ भी है, क्योंकि गीता मे भी कहा गया है कि पुनर्जन्म होता है, और ये बात बार बार काही गई है, इसीलिए आप ही अपने कर्मो के फल को भोगने के लिए बार बार आते रहते हैं जब तक की आप उसको पूरा नहीं कर लेते हैं, आप ही अपने परिवार के वो बड़े-बुजुर्ग हो सकते हैं जो आज दुनिया मे नहीं है, कई बार तो आप आज के कुछ सालों पहले किए हुये कर्मों के फलों को भोग रहे होते हैं इसीलिए आप जो भी कुछ हैं उसका कारण आप स्वयं ही हैं, किसी और को दोष ना दें मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप अपने जीवन मे आने वाले सुख और दुख की ज़िम्मेदारी स्वयं पर लें।


क्या घर मे किया हुआ पेंट अर्थात रंग भी हमारे जीवन मे तकलीफ़ों को आमंत्रित करता है ?
उत्तर-
 नीला रंग जल तत्व होता है उत्तर दिशा इसके मालिक हैं, लाल रंग यानि अग्नि यहाँ पर दब जाती है, काम करने का जस्बा हिम्मत खत्म हो जाती है, और जीवन मे अवसर का लाभ लेने के चक्कर मे नुकसान हो जाता है, पूर्व दिशा इनका हवा पर अधिकार होता है यहाँ का आदर्श रंग हरा होता है, यदि यहाँ पर ग्रे रंग हो जाते तो सामाजिक सम्बन्धों पर खतरा आ सकता है, समाज़ और देश के प्रति निष्ठा और भावना मे कमी आ सकती है, दक्षिण दिशा अग्नि की है यदि यहाँ पर नीला काला रंग हो जाये तो जातक कभी भी पैसा नहीं कमा सकता और प्रसिद्धि मे रुकावट आ जाती है, यहाँ का आदर्श रंग लाल है, और अब साउथ-वेस्ट दिशा यह पृथ्वी की होती है इसका आदर्श रंग पीला है, यदि यहाँ पर हरा हो जाये तो सभी प्रकार के संबंध खतरे मे पड़ जाते हैं, और घर मे आए दिन झगडे बढ्ने लगते हैं, धीरे धीरे हर तरह से रिश्तों मे तनाव आने लगता है, अब सबसे आखिरी दिशा पश्चिम दिशा यह आकाश तत्व की है यदि यहाँ पर हरा रंग हो जाये लाल हो जाये या फिर पीला हो जाये तो जातक किसी भी कार्य से लाभ नहीं ले पाएगा, लाल होगी तो और नाम या पैसा कमाने के चक्कर मे खराब कर लेगा, हरा रंग होगा तो सामाजिक सम्बन्धों को बेहतर बनाने के लिए चक्कर मे लाभ नहीं लेगा और रिश्ता भी खराब हो जाएगा, इसीलिए आपके घर मे रखी हुई चीजें और रंग, उनके गुण, धर्म आपके जीवन को बहुत हद तक प्रभावित करते हैं।


नोट- यदि आप अपने परिवार, समाज़, देश, दुनिया सभी के प्रति मन मे सम्मान, त्याग, प्रेम, ममता, समर्पण रखते हैं तो वास्तु की दिशाएँ, घर की वस्तुएं, राशि, नक्षत्र, ग्रह सभी आपके पक्ष मे चलते हैं, और आप इन सभी से ऊपर उठने लगते हैं।
जैसे कूली फिल्म का डायलोग है कि मैं जहां पर खड़ा हो जाता हूँ लाइन वहीं से शुरू हो जाती है, अर्थात आप जब अपने काम को 100 प्रतिशत ईमानदारी, और अच्छी गुणवत्ता के साथ करने लगते हैं तो दुनिया की सारी ताकत आपको सफल बनाने मे लग जाती है।


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